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सकारात्मक सोच अधिकांश लोग पूजा-पाठ जब करते हैं तो

सकारात्मक सोच अधिकांश लोग पूजा-पाठ जब करते हैं तो वह अपने इष्ट से सांसारिक मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं बहुत से लोग अपने इष्ट देवता से अनुबंध भी करते हैं कि उनकी कामनाएं जैसे ही पूरी होगी तो वह कुछ भेज चढ़ाएंगे सौभाग्य वंश कार्य पूर्ण होने पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान आदि करते दिखाई भी पढ़ते हैं तमाम धर्मगुरु इस तरह का आश्वासन भी देते हैं कि जब तब से उनकी मनोकामना तिरुपति गति से पूर्ण हो जाएगी जबकि है कोई आवश्यक नहीं है कि इस देवता की पूजा पाठ से ही सांसारिक उपलब्धियां मिल जाएंगे पूजा का आधार है पवित्रता का जन्म पूजा यदि मन में पवित्र भावनाओं को जन्म देने के लिए की जाए तो वह उचित है क्योंकि पवित्र भावना से मन पवित्र होता है जो आगे चलकर जीवन को बेहतर बनाता है मानव सकारात्मक होकर जब अच्छे कर्म में लग जाए तो जीवन में अनुकूलता आने लगती है इस सकारात्मक सोच की तलाश का रास्ता है पूजा-पाठ पूजा-पाठ से दिन आचार्य नियमित होती है तमाम इस तरह के निशानों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है एक ग्रता बढ़ती है समूह में जीने की आदत उत्पन्न होती है यह रास्ते इतने महत्वपूर्ण है कि इनसे जो परिचय चित होगा वही जो काम करेगा सफल होगा पूजा पाठ में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ भी शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद आए होते हैं सभी धर्म लंबनी पूजा करें में पुष्प चंदन आदि पदार्थ अपने इष्ट देवता को चढ़ाते हैं इनके जो प्राकृतिक एवं उपासक को जरूरी बनती है जिस व्यक्ति में सकारात्मक आत्मबल और लिखता है वही नादानी नहीं कर सकता इसलिए पूजा-पाठ प्रार्थना को वेहम संस्कार में कुछ पाने की जगह आतंक संसार में सद्गुण पाने के लिए करना चाहिए जो किसी भी धर्म का मूल है कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्य से वाहन जगत की उपलब्धियों का रास्ता बताएं तो उसे तत्काल दूर री बनाने ही लाभप्रद होता है

©Ek villain #sakaratmak 

#Happy
सकारात्मक सोच अधिकांश लोग पूजा-पाठ जब करते हैं तो वह अपने इष्ट से सांसारिक मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं बहुत से लोग अपने इष्ट देवता से अनुबंध भी करते हैं कि उनकी कामनाएं जैसे ही पूरी होगी तो वह कुछ भेज चढ़ाएंगे सौभाग्य वंश कार्य पूर्ण होने पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान आदि करते दिखाई भी पढ़ते हैं तमाम धर्मगुरु इस तरह का आश्वासन भी देते हैं कि जब तब से उनकी मनोकामना तिरुपति गति से पूर्ण हो जाएगी जबकि है कोई आवश्यक नहीं है कि इस देवता की पूजा पाठ से ही सांसारिक उपलब्धियां मिल जाएंगे पूजा का आधार है पवित्रता का जन्म पूजा यदि मन में पवित्र भावनाओं को जन्म देने के लिए की जाए तो वह उचित है क्योंकि पवित्र भावना से मन पवित्र होता है जो आगे चलकर जीवन को बेहतर बनाता है मानव सकारात्मक होकर जब अच्छे कर्म में लग जाए तो जीवन में अनुकूलता आने लगती है इस सकारात्मक सोच की तलाश का रास्ता है पूजा-पाठ पूजा-पाठ से दिन आचार्य नियमित होती है तमाम इस तरह के निशानों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है एक ग्रता बढ़ती है समूह में जीने की आदत उत्पन्न होती है यह रास्ते इतने महत्वपूर्ण है कि इनसे जो परिचय चित होगा वही जो काम करेगा सफल होगा पूजा पाठ में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ भी शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद आए होते हैं सभी धर्म लंबनी पूजा करें में पुष्प चंदन आदि पदार्थ अपने इष्ट देवता को चढ़ाते हैं इनके जो प्राकृतिक एवं उपासक को जरूरी बनती है जिस व्यक्ति में सकारात्मक आत्मबल और लिखता है वही नादानी नहीं कर सकता इसलिए पूजा-पाठ प्रार्थना को वेहम संस्कार में कुछ पाने की जगह आतंक संसार में सद्गुण पाने के लिए करना चाहिए जो किसी भी धर्म का मूल है कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्य से वाहन जगत की उपलब्धियों का रास्ता बताएं तो उसे तत्काल दूर री बनाने ही लाभप्रद होता है

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