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जहाँ भी गहरी नींद में हूँ मैं पायलें तुम्हा






जहाँ भी गहरी नींद में हूँ मैं 
पायलें  तुम्हारी छमकती हैं 
कलाइयों की खन-खन चूड़ियाँ 
अक्सर ही  मुझसे उलझती हैं 
नज़रें नुकीले काजल की 
हौले से  मुझे  पकड़-लड़ती  हैं 
नजदीक मेरे जब भी आती हो  तुम 
बेचैनियाँ मेरी बहुत ही  बढ़ती हैं ...!!!

©Vivek
  #payalein