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बज्म ए यार रूठे रूठे क्यों हैं? क्या मैंने तुमसे ब

बज्म ए यार रूठे रूठे क्यों हैं?
क्या मैंने तुमसे बेवफ़ाई की है।

वहसत थी क्या जो रुकसत हुए घर से,
क्या कभी मैने साथ तुम्हारे हाथापाई की है।

यार ए तबस्सुम है विसाल ए जिस्त जानां,
मैंने नाम तुम्हारे सारे मौसम की रवानगी की है।

अब क्या हवा में खुशबू बिखेरूं, घर जल्दी लौटूँ,
मेरे महबूब ने थोड़ी मोहब्बत मुझसे भी की है¡!?

©Siddharth kushwaha #तबस्सुम #वहसत  #जिस्त #जानां… #प्यार #तुम #सिर्फ_तुम #ख्यालतुम्हारा #loveyoukanpur
बज्म ए यार रूठे रूठे क्यों हैं?
क्या मैंने तुमसे बेवफ़ाई की है।

वहसत थी क्या जो रुकसत हुए घर से,
क्या कभी मैने साथ तुम्हारे हाथापाई की है।

यार ए तबस्सुम है विसाल ए जिस्त जानां,
मैंने नाम तुम्हारे सारे मौसम की रवानगी की है।

अब क्या हवा में खुशबू बिखेरूं, घर जल्दी लौटूँ,
मेरे महबूब ने थोड़ी मोहब्बत मुझसे भी की है¡!?

©Siddharth kushwaha #तबस्सुम #वहसत  #जिस्त #जानां… #प्यार #तुम #सिर्फ_तुम #ख्यालतुम्हारा #loveyoukanpur