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मुस्कान ऐसी जैसे किसी कवी की रचना पढ़ी चमक ऐसी जैस

मुस्कान ऐसी जैसे किसी कवी की रचना पढ़ी
चमक ऐसी जैसे सर्द सुबह में सूरज खिले
शब्द हैं कम या बोलूं की मिलते नहीं करने को बयान शख्सियत को
 लफ्ज़ों के मायने भी सामने कम लगते हैं तारीफ़ करने को

©Dr  Supreet Singh
  #ऐसी_है_मेरी_जान