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जीवन स्वतंत्र तो हो लेकिन कुछ सीमा का निर्धारण हो

जीवन स्वतंत्र तो हो लेकिन
कुछ सीमा का निर्धारण हो 
अनुशासन का अतिक्रमण न हो 
कुछ तो सात्विक सा कारण हो
जीवन स्वतंत्र........
मन तो चंचल पंछी सा है
उड़ना इसकी प्रकृति है 
नूतन निश्छल नित नवीन
पुलकित पावन पथ धारण हो
जीवन स्वतंत्र........
लोभ मोह मद क्रोध सभी ये
आते जाते रहते हैं
खुद पर भी नियंत्रण साधक सा
कुछ प्रश्र जो हो तो निवारण हो
जीवन स्वतंत्र..…...
व्यक्ति औ व्यक्तित्व व्यथित है
कुछ आपा धापी अनायास
सबको मालुम ये ब्रह्म सत्य
कोई कितना भी साधारण हो
जीवन स्वतंत्र.......
जब स्वास घटे या बढ़ जाएं
तब उथल पुथल मच जाता है
वैसे जीवन का गणित "सूर्य"
आत्मिकता जनित उदाहरण हो
जीवन स्वतंत्र....…..

©R K Mishra " सूर्य "
  #अतिक्रमण