सतत कोशिशों से शज़र भी हिलेगा, तेरा चाक दामन भी कोई सिलेगा, विचारों का कचरा करो साफ मन से हृदय में सुमंगल कमल दल खिलेगा, करो आत्मचिंतन स्वयं को टटोलो, सुभग दीप जलता हुआ भी मिलेगा, अंधेरा छँटेगा फक़त ज़िन्दगी से, सुबह का उजाला कदम चूम लेगा, अगर भाव सुंदर तुम्हारे हैं गुंजन, तेरे साथ ही कारवाँ भी चलेगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #कदम चूम लेगा#