कैसे जीतें हैं वो जो बेखुदी में जीतें हैं, हमैं भी कोई शिखवा ही नही के हम भी सदी में जीतें हैं। जिधर देखो उधर तमाशों की एक लहर ही तो है, बाज़ार है आदमी हम भी इसी दुनियादारी में जीतें हैं। -----अजित मिश्र-------