हृदय में बेसब्री सी रहती है कि जल्दी से चारदीवारी के बाहर निकलू,,, कहीं भोर की बेला छूट न जाए वह मनोरम अनुपम दृश्य रह न जाए,,, जब सूरज आने से पहले नभ हल्का का लालिमा युक्त दिखाई देता है,,, हल्की अंधेरे की चादर ओढ़े रहती है चारों तरफ मलयज पवन बहती है मंत्रमुग्ध करती है चितवन को,,, चारों तरफ जीवंत प्रकृति का आनंद लू,,, हंसी सुबह गुलाबी,, शहर गुलाबी,,,गुलाबी कलीयां,,, गुलाबी नगर फूल गुलाबी,,,हौंट गुलाबी,,,लब्ज गुलाबी,,,रुखसार भी गुलाबी,,,, तेरे ख्याल भी गुलाबी,,,दिल भी गुलाबी छुके जाती जो हवा वह भी गुलाबी,,,,