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निज मन गहन कृष्ण बसाए श्रृंगार तुम्हारा मुदित मुस्

निज मन गहन कृष्ण बसाए
श्रृंगार तुम्हारा मुदित मुस्काये
शब्द विचार करते अठखेली
पटल ही बना भावुक सहेली
करत निःशब्द मुग्ध मन मेरा
हे मित्र पावन धन्यवाद तेरा
.

 धन्यवाद
निज मन गहन कृष्ण बसाए
श्रृंगार तुम्हारा मुदित मुस्काये
शब्द विचार करते अठखेली
पटल ही बना भावुक सहेली
करत निःशब्द मुग्ध मन मेरा
हे मित्र पावन धन्यवाद तेरा
.

 धन्यवाद