कभी कभार जीते हुए इतना दर्द होता है की मन करता है, जीना ही छोड़ दूं जिन मंजिलों से किस्मत ने मुझे हमेशा दूर रखा है उन मंजिलों तक पहुंचने के रास्तों से ही मुंह मोड़ लू शायद कभी उन रास्तों पर, मेरी तस्वीर लग जाएगी शायद तभी, उन रास्तों पर खुद चलकर वो मंजिलें, तड़प तड़प के, मेरी भटकती रुह से मिलने आएंगी #रास्ते #मंज़िल #रूह #तस्वीर #भटकती जीने का दर्द