शाम का महकना,और तेरा यूं दहकना। मदहोशिओं में डूबा ये मंजर,और सैलाब सी चाहत का ये समुंदर।। कैसे करें काबू,तुम्हारी कातिल नजरो का ये बंवडर।। थम ना रहा,होने दो आज इश्क का स्वयंवर।। होने दो आज इश्क का स्वयंवर ##