कहु तो क्या कहुँ जो भी कहुँ वो सोच में कहा आती अपनौ ने इतना घाव हिया कि सोचने की उम्मीद ही घायल हो गया तरिका भी बदल ने को सोचता है। सोचु तो क्या सोचु कहु ती क्या कहु करु तो क्या करु।