White ज़िंदगी से भाग रहा हूँ मैं, थक गया हूँ जीने से, अंधेरों में खो जाना है, दूर दुनिया की भीड़ से। न कोई रौशनी, न कोई साथ, बस एकांत का आगोश, जहाँ न कोई पुकारेगा, न कोई लेगा मेरा होश। टूट चुका हूँ मैं अंदर से, बिखर गया हूँ टुकड़ों में, न कोई उम्मीद, न कोई ख्वाब, बस डूबा हूँ गम के समंदर में। भाग रहा हूँ उन रिश्तों से, जिनमें मिला सिर्फ़ दर्द, अंधेरों में ढूंढ रहा हूँ मैं, सुकून का एक पल अनहद। जहाँ से कोई लौटकर ना आए, ऐसी तन्हाई में खो जाऊँ, दुनिया की यादों से दूर, मैं खुद को भुला जाऊँ। ©Avinash Jha #GoodNight #depressed