रावण को महिमा मंडित करने वालों रावण की गाथा गढ़ने वालों माना वो प्रकांड विद्वान था तीनों लोकों में महान था पर अहम ने उसको खाया वो कामा से बच न पाया भक्त बड़ा वो था ये माना था पंडित ये भी चलो माना लेकिन वो हो चुका पाखंडी था ताकत में चूर वो उत्दंडी था धर्मी नहीं अधर्मी था रावण वो बुरा कुकर्मी था गर होते न उसमे ये दोष तो होता उसका भी उद्घोष वो भी कलयुग में पूजा जाता राम बाण से वध न पाता शिव श्रोत रचयिता रावण ग्रंथों का ज्ञाता रावण वो खुद ही मरना चाहता था संदेश छोड़ना चाहता था "अहम नही सद्कर्म करो" ©Anurag Stunning #anuragstunning #Dussehra