कलम की यह कैसी प्यास, कलम आज फिर उदास है, कलम की स्याही नित पन्नों पर अपना दुख सुनाती है, भुखमरी बलात्कार भ्रूण हत्या, नित आती समस्याओं से त्रस्त वह अपनी व्यथा बताती है, कलम का यह सपना है, इस देश में रामराज आए यह हक अपना है, हो सच सपना यह कलम का इतनी ताकत हम अपनी कलम को देते हैं, निकले शुभ शब्द इससे सुनहरे भारत के बस इतनी ही शुभकामनाएं हम अपनी कलम को देते हैं........... #GandhiJi