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ख़ुद से बे-ख़बर है रूह मेरी, इसे चाहत का अहसास नहीं।

ख़ुद से बे-ख़बर है रूह मेरी, इसे चाहत का अहसास नहीं।
क्या हाल बताऊँ तुझ बिन मेरा, जब तू ही मेरे पास नहीं।

तन्हा फ़िरती हूँ मैं दर-बदर, अब ख्वाबों के आशियाने में।
तुझसे मिलने की ख़्वाहिश है, मेरा और कोई ख़ास नहीं।

जबसे तुझको देखा है मैंने, मेरी आँखों को तू ही भाता है।
दिल को तेरा इंतज़ार है, मुझे और किसी की तलाश नहीं।

नज़रें ढूँढती हैं तुझे दिलबर, एक बार ज़रा तू सामने आ।
रूप सुहाना तेरा देखूँ, आँखों को और कोई प्यास नहीं।

जब-जब तन्हा मैं होती हूँ, बस तेरे ही बारे में सोचती हूँ।
जेहन में तू ही बसा है सनम, किसी और पे विश्वास नहीं।

मेरे होंठों पे बस नाम तेरा, इसके सिवाय कोई काम नहीं।
जिस लफ़्ज़ में तेरा नाम न हो, वो लफ़्ज़ मुझे रास नहीं।

चूड़ी, बिंदी, झुमके, कंगना, मेरा श्रृंगार ही सब तेरे नाम से।
तेरे नाम से मेरा नाम सनम, तुझ बिन मेरा कोई नाम नहीं। ♥️ Challenge-812 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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ख़ुद से बे-ख़बर है रूह मेरी, इसे चाहत का अहसास नहीं।
क्या हाल बताऊँ तुझ बिन मेरा, जब तू ही मेरे पास नहीं।

तन्हा फ़िरती हूँ मैं दर-बदर, अब ख्वाबों के आशियाने में।
तुझसे मिलने की ख़्वाहिश है, मेरा और कोई ख़ास नहीं।

जबसे तुझको देखा है मैंने, मेरी आँखों को तू ही भाता है।
दिल को तेरा इंतज़ार है, मुझे और किसी की तलाश नहीं।

नज़रें ढूँढती हैं तुझे दिलबर, एक बार ज़रा तू सामने आ।
रूप सुहाना तेरा देखूँ, आँखों को और कोई प्यास नहीं।

जब-जब तन्हा मैं होती हूँ, बस तेरे ही बारे में सोचती हूँ।
जेहन में तू ही बसा है सनम, किसी और पे विश्वास नहीं।

मेरे होंठों पे बस नाम तेरा, इसके सिवाय कोई काम नहीं।
जिस लफ़्ज़ में तेरा नाम न हो, वो लफ़्ज़ मुझे रास नहीं।

चूड़ी, बिंदी, झुमके, कंगना, मेरा श्रृंगार ही सब तेरे नाम से।
तेरे नाम से मेरा नाम सनम, तुझ बिन मेरा कोई नाम नहीं। ♥️ Challenge-812 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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