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हाथ में झोला,सिर पे बोरी,पैदल घर जाने की कैसी ये म

हाथ में झोला,सिर पे बोरी,पैदल घर जाने की कैसी ये मज़बूरी है?
कुछ ने रास्ते में ही लेली अंतिम सांस ,कुछ के लिए लंबी ये दूरी है।
रोते बिलखते चेहरे सरक पर हुकूमत से हैं सवाल पूछते, कि क्या ख़ाक व्यवस्था पूरी है?
हर प्रश्न का मिलता एक ही उत्तर, lockdown जरूरी है।
@ singh shubham... # क्या ख़ाक व्यवस्था पूरी है??
हाथ में झोला,सिर पे बोरी,पैदल घर जाने की कैसी ये मज़बूरी है?
कुछ ने रास्ते में ही लेली अंतिम सांस ,कुछ के लिए लंबी ये दूरी है।
रोते बिलखते चेहरे सरक पर हुकूमत से हैं सवाल पूछते, कि क्या ख़ाक व्यवस्था पूरी है?
हर प्रश्न का मिलता एक ही उत्तर, lockdown जरूरी है।
@ singh shubham... # क्या ख़ाक व्यवस्था पूरी है??