खाक-जमीर हवा में..रूह है राख.. आईने में चेहरे है..चेहरे पर नकाब..!! वहशियत की चिलम फूंक रहे सब.. न आना शहर की आबो हवा ख़राब..!! मजार-ए-अज़ाब लिए फिरते हो जो.. खिजाब-ए-मसर्रत न जान पाओगे जनाब..!! सिफर से शुरू सफर अंत भी सिफर.. हाँ उम्र गुजर गयी करते करते हिसाब..!! बगावत-ए-कायनात की इब्तिदा हो.. आओ मौत..इंकलाब..इंकलाब..इंकलाब..!! #inquilab #zero #naqaab #वहशियत अज़ाब-दुःख, मसर्रत- खुशी, सिफर-शून्य, #yqbhaijaan #yqdidi