हंसता है जो ऊपर से, वो अंतर्मन में घुटता है, कह दे किसी को तो सब कहते हैं, अवसाद तो सबको होता है। बीमारी है ये सिर्फ एक, फैलने से जिसको रोकना है, हो भी गई तो कोई नहीं, मिलकर इलाज ढूंढ़ना है।। •| अवसाद एक सामाजिक समस्या |• रात दिन का होश नहीं था, ना थी किसी की फ़िक्र ना जाने किस दर्द में थी डूबी, काश किसी को तो होती ख़बर। अपने हर दर्द का हिसाब कर लिया उसने एक रात को, सब छोड़ उसने चुना मौत के साथ को।। हंसता है जो ऊपर से, वो अंतर्मन में घुटता है, कह दे किसी को तो सब कहते हैं, अवसाद तो सबको होता है।