यकीं मानिये मैं बाज़ार नहीं गया था वरन बाज़ार मेरे घर में घुस गया उसने बेचा मुझे बहुत कुछ गैर जरूरी औऱ ले गया हरी घास , उछलती गिलहरी, टिटहरी की आवाज, बगुलों के झुण्ड, फेरीवाले की पुकार और बहुत कुछ............... कहते है सौदे में हमेशा-हमेशा बाजार कमाता है । चलते चलते