बढ़ती उम्र के साथ-साथ; एक तजुर्बा भी हासिल होता गया, दो चेहरे रखने वाले धोखेबाज़ों से रुख़ भी हमारा मुड़ता गया। कौन कैसा है, कैसा नहीं; इसका प्रमाण कई मर्तबा मिला हमें, उजियारे से नाता जुड़ गया, अब किसी अंधेरे में न है रहना हमें। Pic Credit: Google Week 4, Day 4 Topic: Life(हिंदी) Prompt: तजुर्बा Lines: 4 Rhyming scheme: AABB ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ Prompt by- Sasmita Nayak di❤️