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तपती धूप में उगाई थी, अन्नदाता ने फसल रेत में, कीम

तपती धूप में उगाई थी, अन्नदाता ने फसल रेत में,
कीमत ना मिली पूरी ,लटका मिला वो उसी खेत में।

मरते मरते वो इंसानियत को एक ताना दे गया।
खून से सना, सस्ता खाने को हमें  दाना दे गया।

-Keshav #farmer #India #किसान
तपती धूप में उगाई थी, अन्नदाता ने फसल रेत में,
कीमत ना मिली पूरी ,लटका मिला वो उसी खेत में।

मरते मरते वो इंसानियत को एक ताना दे गया।
खून से सना, सस्ता खाने को हमें  दाना दे गया।

-Keshav #farmer #India #किसान
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