गोपिन माध्य में ग्वाला गिरधर मधुर मनोहर मोहन मधुकर रात प्रहर प्रभु चंद्र सो शीतल भोर भयो प्रभु उदित दिवाकर नृत्य करेहु गऊ गौ संग ग्वाला गोपिन्ह ताल दे नाचै नटवर जित जित गोपी उत उत ग्वाला व्याप्त है सर्व में रूप सुधाकर राधा गोपी ग्वाल है कृष्णा प्रेम मगन सब लोक चराचर पृष्ठ पलक कर मोरे कन्हैया नयना रूप रचै मुरलीधर #krishna