होने देना था, निर्भय भय के अनगिन साँसों को जी लेना था अपलक पलछिन मन के उन आभासों को प्रणय बीज देना था चन्द्रिम चन्द्र निशा के न्यासों में खिलने देना था प्रिय नेहिल नेह निकुंज निवासों में जीवन को जगने देना था प्रीति पुलकभर त्रासों में पोर-पोर रस भर देना था जीवन के अवकाशों में #toyou#होनेदेनाथा#yqlife#yqlove#yqspring#yqfearandhope