भरता ही नहीं ये जख्म मिला कैसा है, मोहब्बत का मिला ये सिला कैसा है, पल-पल सताती है उस बेवफा की याद थमता ही नहीं ये सिलसिला कैसा है. ©ASHISH KUMAR YADAV ज़ख्मी दिल