तन के उजले मन के काले लोग यहाँ आख़िर हम मन वहाँ लगायें कैसे..?? जिस दिल को भाते छलिया मन... वहाँ निश्छल दिल दिखायें कैसे..?? वो जो मीठी बातों में आ जाते सही-ग़लत ना जान पाते आख़िर उनको हम अब विश्वास दिलायें कैसे..?? जो हर रस्ते कत्ल-ए-दिल आम करते.. उनसे हम अपना मासूम दिल बचायें कैसे..??? राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©Raone गन्दी दुनियाँ