मय-कशी की रात में, मिठास उड़ेल दे तू जो खेलता है, वही खेल, खेल दे कुछ जुल्फ, यूं ही हवा में, उड़ने दे कुछ को, कान के, पीछे ढकेल दे हुस्न की अदा, को बचपना देकर फिर दूर से,चुप इशारे, गुस्सैल दे मय-कशी की रात में, मिठास उड़ेल दे तू जो खेलता है, वही खेल खेल दे #मैकशी #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #हिंदी मय-कशी की रात में, मिठास उड़ेल दे तू जो खेलता है, वही खेल, खेल दे कुछ जुल्फ, यूं ही हवा में, उड़ने दे कुछ को, कान के, पीछे ढकेल दे