हमें भी अपनी कहानी को इक नया मोड़ देना था किसी रूठे हुए दिल को आज मनाना था महकता था मेरा वीरान घर जिसकी खुशबू से एहसास ए दर्द हमें ही उसको आज सुनाना था जब से तू मिला है मुझे सितमगर की तरह ख्याल ए आरज़ू में हमें ही तुझको आज सजाना था ये रात ढलते ढलते रख गई सारा हिसाब कल के लिए तुम्हें ही अपना फैसला आज सुनाना था खड़े हैं सर झुकाए तेरे सामने एहतिसाब के लिए तुम्हें ही अपना तरीका ए सितम आज बदलना था अब हर लम्हा के साथ बदलने लगे हो अपने तौर तरीके तुम्हें ही मेरे वीरान घर में आज आना था 🐱🐱मेरी स्वरचित ग़ज़ल एहसास ए दर्द🐱🐱 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी स्वरचित ग़ज़ल एहसास ए दिल #akelapan