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महादानी कर्ण की धरती से आया हूं पर्स मेरी मोटी‌

महादानी कर्ण की धरती से आया हूं 
पर्स मेरी मोटी‌  भले ना‌ हो, दिल बड़ा ‌मैं पाया हूं  
नर नारी जीव जन्तु ‌सब‌ विशेष 
सब समान प्रेम पाते हैं, है कोई ना‌ शेष‌ 
मेरी लम्बाई से‌ मत आंक मुझे 
मेरी क्षमताओं से तु नाप मुझे 
मत देख क्या है मेरे तन पर 
देख क्या तनिक भी धुल जमीं है मेरे मनपर ? 
देखना है तो तु‌ हृदय मेरा विशाल देख 
इस महादेव शिष्य और श्रीकन्हैया लाल देख 
देखना चाहता है तो लोगों के अनर्गल प्रलाप देख 
कुंठित और कुपित मन से मुझे दिये अभिशाप देख 
देख जरा फ़िर भी मैंने कब अपनी मर्यादा खोइ  
कितनों के अहित के लिए षड़यंत्रों के बीजें बोइ 
कितनी दफा ना जाने विपदा आई 
पर कभी ना घबराया हूं 
महादानी कर्ण की धरती से आया हूं
सीख माता पिता गांठ बांध लाया हूं महादानी  कर्ण की धरती से आया हूँ 
#Ranjesh #Poetry #frustration
महादानी कर्ण की धरती से आया हूं 
पर्स मेरी मोटी‌  भले ना‌ हो, दिल बड़ा ‌मैं पाया हूं  
नर नारी जीव जन्तु ‌सब‌ विशेष 
सब समान प्रेम पाते हैं, है कोई ना‌ शेष‌ 
मेरी लम्बाई से‌ मत आंक मुझे 
मेरी क्षमताओं से तु नाप मुझे 
मत देख क्या है मेरे तन पर 
देख क्या तनिक भी धुल जमीं है मेरे मनपर ? 
देखना है तो तु‌ हृदय मेरा विशाल देख 
इस महादेव शिष्य और श्रीकन्हैया लाल देख 
देखना चाहता है तो लोगों के अनर्गल प्रलाप देख 
कुंठित और कुपित मन से मुझे दिये अभिशाप देख 
देख जरा फ़िर भी मैंने कब अपनी मर्यादा खोइ  
कितनों के अहित के लिए षड़यंत्रों के बीजें बोइ 
कितनी दफा ना जाने विपदा आई 
पर कभी ना घबराया हूं 
महादानी कर्ण की धरती से आया हूं
सीख माता पिता गांठ बांध लाया हूं महादानी  कर्ण की धरती से आया हूँ 
#Ranjesh #Poetry #frustration