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वैरी ~~~~ वैरी अपने पाँच हैं, वृत्ति बनाएं पाँच।

वैरी
~~~~

वैरी अपने पाँच हैं, वृत्ति बनाएं पाँच।
काम क्रोध मद लोभ हैं, बसे मोह मन ढाँच।।

मन पर हो आरूढ़ जब, माया चलती साथ।
आते अवगुण साथ में, निज गुण रहे न हाथ।।

फाँस मोह की फाँसती, भरकर भाव लगाव।
भूल राम को सब मरें, हृदय मोह जड़ भाव।। 

बिठा हृदय में काम रति, दिया मदन उलझाय।
उलझ मनुज घर नेह में, उलझ सुलझ हरसाय।।

मनुज मरा जब लोभ में, मरी धर्म की रीत।
नर ही नर को खा रहा, रही प्रयोजन प्रीत।।

जर जोरू व जमीन का, करता नर अभिमान।
मद में इनके सब लड़े, लेने देने जान।। #दोहा #दोहावली #वैरी #rztask405 #rzलेखकसमूह #glal #yqdidi #restzone
वैरी
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वैरी अपने पाँच हैं, वृत्ति बनाएं पाँच।
काम क्रोध मद लोभ हैं, बसे मोह मन ढाँच।।

मन पर हो आरूढ़ जब, माया चलती साथ।
आते अवगुण साथ में, निज गुण रहे न हाथ।।

फाँस मोह की फाँसती, भरकर भाव लगाव।
भूल राम को सब मरें, हृदय मोह जड़ भाव।। 

बिठा हृदय में काम रति, दिया मदन उलझाय।
उलझ मनुज घर नेह में, उलझ सुलझ हरसाय।।

मनुज मरा जब लोभ में, मरी धर्म की रीत।
नर ही नर को खा रहा, रही प्रयोजन प्रीत।।

जर जोरू व जमीन का, करता नर अभिमान।
मद में इनके सब लड़े, लेने देने जान।। #दोहा #दोहावली #वैरी #rztask405 #rzलेखकसमूह #glal #yqdidi #restzone