"चीन तू अब नहीं...." मन की ओजमय अभिव्यक्ति आप सभी के समक्ष घनाक्षरी(कवित्त) छंद में अभिव्यक्त है! इसमें प्रत्येक छंद में चार पंक्तियाँ होती हैं! पहली पंक्ति में 8 वर्ण दूसरी पंक्ति में 8 वर्ण तीसरी पंक्ति में 8 वर्ण चौथी पंक्ति मे 7 वर्ण होते है! 8+8+8+7=31 (कुल 31 वर्ण होते हैं!संयुक्त वर्ण को अलग से नहीं गिना जाता!) प्रत्येक छंद लय के साथ जुड़ा होता है! प्रत्येक पंक्ति के अंत में दीर्घ वर्ण होता है! वीर और ओज भावों की अभिव्यक्ति के लिए यह छंद सर्वथा उपयुक्त है! 🌹 अब बहुत हो चुका क्षमा भाव अब नहीं शत्रु पर दया नहीं अब 'तू' शेष नहीं..! सहन बहुत किया नासमझ मान तुझे अनदेखा यूँ ही किया अब 'तू' शेष नहीं..! राह अपनी मोड़ ले क़दम पीछे खींच ले माफ़ी अब भी माँग ले अब 'तू' शेष नहीं...!