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मुसिबत मुसिबत बन गई तो, ये भी एक जरूरत हैं। कभी

मुसिबत मुसिबत बन गई तो,
ये भी एक जरूरत हैं।

कभी तो था तभी तो है,
ये भी एक हकीकत हैं।

सुना तो होगा लेकिन समझा नहीं ,
ये भी एक शिकायत हैं।

मिला जो ये तुमसे तुम मर ही गए, 
ये भी एक सुरत हैं।

गम मुझे भी है इसका ,
बस लिखने की एक आदत हैं।

फिर खो जाएंगे हम,
आखिर मेरी भी एक हसरत हैं।

मुसिबत मुसिबत बन गई तो ,
ये भी एक जरूरत हैं। Zaki Haidar Pragati Maurya  deba shah vidushi MISHRA Ram Yadav
मुसिबत मुसिबत बन गई तो,
ये भी एक जरूरत हैं।

कभी तो था तभी तो है,
ये भी एक हकीकत हैं।

सुना तो होगा लेकिन समझा नहीं ,
ये भी एक शिकायत हैं।

मिला जो ये तुमसे तुम मर ही गए, 
ये भी एक सुरत हैं।

गम मुझे भी है इसका ,
बस लिखने की एक आदत हैं।

फिर खो जाएंगे हम,
आखिर मेरी भी एक हसरत हैं।

मुसिबत मुसिबत बन गई तो ,
ये भी एक जरूरत हैं। Zaki Haidar Pragati Maurya  deba shah vidushi MISHRA Ram Yadav
shaktisingh5160

Shakti Singh

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