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मोहब्बत तो आज भी इतनी है की नमाज़ों में दुआ करता हू

मोहब्बत तो आज भी इतनी है की नमाज़ों में दुआ करता हूँ
अपनी तमन्नाओं का चाक पैरहन कभी फिर सिल पाऊं मैं
तू हाथ में मोहब्बत का टुकड़ा लेके ज़माने में तलाशे मुझको
 और सज़ा तेरी ये हो कि कभी तुझको न फिर मिल पाऊं मैं
 4/4/21
मोहब्बत तो आज भी इतनी है की नमाज़ों में दुआ करता हूँ
अपनी तमन्नाओं का चाक पैरहन कभी फिर सिल पाऊं मैं
तू हाथ में मोहब्बत का टुकड़ा लेके ज़माने में तलाशे मुझको
 और सज़ा तेरी ये हो कि कभी तुझको न फिर मिल पाऊं मैं
 4/4/21