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कोई ना कोई, कहीं ना कहीं, वज़ह होता है, किसी ना कि

कोई ना कोई,
कहीं ना कहीं,
वज़ह होता है,
किसी ना
किसी के लिए।
वर्ना धरती पर
ये आशियानों का
जंगल नही होता।

©Vikash Kamboj #Sheher
कोई ना कोई,
कहीं ना कहीं,
वज़ह होता है,
किसी ना
किसी के लिए।
वर्ना धरती पर
ये आशियानों का
जंगल नही होता।

©Vikash Kamboj #Sheher