इतिहास में ऐसे अनेक मामले सामने आते रहे हैं जब कोई महापुरुष के सामाजिक योगदान के इतिहासकारों ने पर्याप्त स्थान नहीं दिया जनसभा कार ने गांधी अंबेडकर से भी पहले बहुजन उत्थान के लिए कार्य किया और समाज सुधार की दिशा में व्यापक प्रयास किया इतिहासकारों ने उन्हें समाज सुधारक महापुरुष की चर्चा में कोई जगह नहीं दी जहां 18 सो 57 के विद्रोह को विदेशी नहीं-नहीं भारतीय इतिहासकार भी सिपाही विद्रोह कहने में लगे थे तब सरकार ने उस देश का प्रथम स्वतंत्र संग्राम बताया अंग्रेज द्वारा दी गई काली पानी की सजा भी काटी इन सब के बावजूद वीर सावरकर को इतिहास में वे स्थान नहीं दिया गया जैसे को एक हकदार थे विचारधारा पोषित इतिहासकारों ने ऐसा पहली बार नहीं किया यह निरंतर ऐसा लिखते रहे हैं किन के द्वारा ऐसे इतिहास लेखन के कारण ही वर्तमान में सेवा कार्य का नाम जब भी सामने आता है तो विचारधाराएं दो विपरीत ग्रुपों में खड़ी हो जाती हैं एक गुट उन्हें पूजनीय मानते हैं तो दूसरा गुड सावर्ती अतिशय समझते हैं विचारों का यह भेद भारत के इतिहास में शायद ही किसी दूसरे स्वतंत्र सेनानी के बारे में दिखाया देता हो इस संदर्भ में विकास संपत्ति माफी मांगने वाले सरकार ने स्वच्छ को बहुत ही विस्तार से अपनी किताब में लिखा है ©Ek villain #तिथियों के साथ समग्र दृष्टि का विस्तार #selflove