ताप्ती भूमि पर बारिश की जब बूद गिर जाए सोंधी सोंधी सुन्ध उठे मन को जो बहुत है भाए बीजों का अंकुरण कर नई पीढ़ी की सुरुवात हो जाए नव जीवन का आगाज़ कहलाए बारिश की बूदें जब जमी गिर जाए सोंधी सी वो सुगंध दिल बहुत है भाए