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मैं तेरी आंखों का तारा, बनके दिल में बसती हूं। उम्

मैं तेरी आंखों का तारा,
बनके दिल में बसती हूं।
उम्र बहुत छोटी है मेरी,
इसीलिए मैं हंसती हूं।।

वक्त ने मुझको बड़ा बनाया,
सपने पूरे करने को,, 
पढ़ा लिखा के मां मुझको,
क्यों बांधा ब्याह में बंधने को,,
एक गुलाब को कांटों में,
क्यों उलझाया मरने को,,
गंध मेरी हर जगह फैलेगी,
जगत में आगे बढ़ने को,,

मैं आशा की बारिश हूं,
जो बंजर धरा बरसती हूं।
मैं तेरी आंखों का तारा,
बनके दिल मैं बसती हूं।।

रूढ़िवादी अंधभक्तों ने,
ऐसी लीला रचा रखी है,,
आडंबरों के मायाजाल में,
सारी धरा फंसा रखी है,,
क्या नारी और क्या पुरुष है,
अंतर बहुत बना दिया,
और समाज में फैले ज्ञान को,
दीया तले ही दबा दिया,,

मैं लौ बनके उजली हो गई,
फिर भी क्यों झुलसती हूं।
मैं तेरी आंखों का तारा,
बनके दिल में बसती हूं।।

©Satish Kumar Meena
  मैं तेरी आंखों का तारा

मैं तेरी आंखों का तारा #कविता

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