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बंजर भूमि का चमकता सितारा - 1 ********************

बंजर भूमि का चमकता सितारा - 1
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एक मजदूर शाम के वक्त काम करके पैदल अपना घर लौट रहा
था,अचानक एक  व्यक्ति ने आवाज  लगाते हुए  कहा मंगरू घर
जा रहे हो .... मंगरू ने जवाब देते हुए कहा ..... जी साहब । फिर
उस व्यक्ति ने कहा .......मंगरू मेरे घर में छोटा मोटा काम है कल
आकर कर देना और जो पैसा होगा मैडम से ले लेना ....... मंगरू
बोला ... जी मालिक .... इतना बोल कर आगे बढ़ गया। आवाज
देने वाला  व्यक्ति गांव  का हीं एक अमीर  आदमी  जो  सरकारी
अस्पताल  में पति - पत्नी  दोनों  डाक्टर था । पति  का  नाम डॉ
रणवीर  और  पत्नी  का  नाम डॉ सुनीता था । दोनों  सभ्य  और
मेहनती  थें। इन  दोनों में  सिर्फ  एक  कमी थी .......... ज्यादा से
ज्यादा पैसा कमाना । इसी वजह से दोनों  मोहतरमा अपने तीन
वर्ष के बेटे को नौकरानी के भरोसे छोड़ कर  रात दिन अस्पताल
तथा  प्राईवेट  प्रेक्टिस  में लगे रहते थें। लाखों  रुपए  महिने कि
कमाई लेकिन  खाने  वाला  सिर्फ तीन लोग। इधर  मंगरू  जैसे
हीं अपना घर पहुंचता है ............... मंगरू का चार साल का बेटा
विकास  तुतलाते हुए बाबा - बाबा बोलते हुए अपने  पिता मंगरु
का दोनों पैर पकड़ कर लिपट जाता है ........ और कहता है .......
बाबा अमतो तिताब ला दो ....... इततूल दाएंगे ....... बेटे का बात
सूनकर  मंगरू बेटे  को खुशी  से  गोद  में  उठा  कर प्यार  करने
लगता है । विकास  कि मां भी दुसरों के घर में  साफ सफाई का
काम करती थी , इस  कारण  अभी तक  वापस अपने  घर  नहीं
आई थी । 
____________________
प्रमोद मालाकार की कलम से 
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कहानी लगातार पेज २

©pramod malakar #बंजर भूमि का चमकता सितार-1
बंजर भूमि का चमकता सितारा - 1
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एक मजदूर शाम के वक्त काम करके पैदल अपना घर लौट रहा
था,अचानक एक  व्यक्ति ने आवाज  लगाते हुए  कहा मंगरू घर
जा रहे हो .... मंगरू ने जवाब देते हुए कहा ..... जी साहब । फिर
उस व्यक्ति ने कहा .......मंगरू मेरे घर में छोटा मोटा काम है कल
आकर कर देना और जो पैसा होगा मैडम से ले लेना ....... मंगरू
बोला ... जी मालिक .... इतना बोल कर आगे बढ़ गया। आवाज
देने वाला  व्यक्ति गांव  का हीं एक अमीर  आदमी  जो  सरकारी
अस्पताल  में पति - पत्नी  दोनों  डाक्टर था । पति  का  नाम डॉ
रणवीर  और  पत्नी  का  नाम डॉ सुनीता था । दोनों  सभ्य  और
मेहनती  थें। इन  दोनों में  सिर्फ  एक  कमी थी .......... ज्यादा से
ज्यादा पैसा कमाना । इसी वजह से दोनों  मोहतरमा अपने तीन
वर्ष के बेटे को नौकरानी के भरोसे छोड़ कर  रात दिन अस्पताल
तथा  प्राईवेट  प्रेक्टिस  में लगे रहते थें। लाखों  रुपए  महिने कि
कमाई लेकिन  खाने  वाला  सिर्फ तीन लोग। इधर  मंगरू  जैसे
हीं अपना घर पहुंचता है ............... मंगरू का चार साल का बेटा
विकास  तुतलाते हुए बाबा - बाबा बोलते हुए अपने  पिता मंगरु
का दोनों पैर पकड़ कर लिपट जाता है ........ और कहता है .......
बाबा अमतो तिताब ला दो ....... इततूल दाएंगे ....... बेटे का बात
सूनकर  मंगरू बेटे  को खुशी  से  गोद  में  उठा  कर प्यार  करने
लगता है । विकास  कि मां भी दुसरों के घर में  साफ सफाई का
काम करती थी , इस  कारण  अभी तक  वापस अपने  घर  नहीं
आई थी । 
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प्रमोद मालाकार की कलम से 
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कहानी लगातार पेज २

©pramod malakar #बंजर भूमि का चमकता सितार-1