ओ मन मेरे धीर धर… क्यों व्यथित है तेरे पर… माना तेरी गति एक उड़ता तीर है… पर वक्त तुझसे भी बड़ा वीर है… न हुआ कर तू इतना व्याकुल… धैर्य धरना भी है तेरे अनुकूल… #मनधीरधर