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हज़ारों ख्वाबों को रोज समझाता हूँ तुम्हारी बातों

हज़ारों ख्वाबों को रोज समझाता हूँ
तुम्हारी  बातों  से, उन्हें  बहलाता हूँ
होगा  किसी    दिन, तुमसे   सामना
यही  कहकर, मिठी नींद  सुलाता हूँ

©Sanjay Ni_ra_la
  #हज़ारों ख्वाबों को रोज समझाता हूँ
तुम्हारी  बातों  से, उन्हें  बहलाता हूँ
होगा  किसी    दिन, तुमसे   सामना
यही  कहकर, मिठी नींद  सुलाता हूँ

#हज़ारों ख्वाबों को रोज समझाता हूँ तुम्हारी बातों से, उन्हें बहलाता हूँ होगा किसी दिन, तुमसे सामना यही कहकर, मिठी नींद सुलाता हूँ #लव

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