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भौतिकता चरम पर चढ़ती जाए रिश्ते -नाते खत्म करती जा

भौतिकता चरम पर चढ़ती जाए
रिश्ते -नाते खत्म करती जाए
आज की पीढ़ी को धन चाहिए, विलासिता के लिए
माता -पिता को पुत्र चाहिए ऐसा,
जो धन कमा सके, वैभव कमा सके, देश में रहे ना रहे,
सेवा करें ना करें, चाहे विदेश में रहे, पुत्र -वधू चाहिए ऐसी,
सरकारी सर्विस करें, सेवा करें चाहे ना करें,
धन वृद्धि करती जाए, सौ वर्ष की उम्र दी है ईश्वर ने,
पर, हमें तो येन -केन- प्रकारेण धन चाहिए,
चाहे उम्र 30 -40 की रह जाए, घर पर कटे,
चाहे जेल में कट जाए, चाहे डूबकर विलासिता में,
स्वर्ग -लोक में पहुंच जाए, भौतिकता चरम पर चढ़ती जाए,
प्रेम भूले, संस्कार भूले, आज हम इंसानियत भूलते जाए,
समय रहते सबक सीख ले हम नहीं तो,
सृष्टि के चमन में भौतिकता के फूल खिलेंगे,
फूल प्रेम के मुरझाएंगें, आजाद संकल्प ले आज हम
सृष्टि को बचाएंगे भौतिकता को नहीं
संस्कारों को, प्रेम को
दिल से हम अपनाएंगे।

©Azaad Pooran Singh Rajawat
  भौतिकता
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