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ज्वर का ज्वार एे ज्वर तू मुझसे ऐसा क्या पाता है

ज्वर का ज्वार 

एे ज्वर तू मुझसे ऐसा क्या पाता है 
जब भी आता है तो शरीर गर्म और अरमान ठंन्डे कर जाता है 

तेरा प्यार भी ऐसा है रुहानी 
की वैसे तो दिखता नहीं सालों तक पर जब आता है तो तापमापी की सारी लकीरें पार कर है जाता 

तेरी वफादारी से मेरा बड़ा प्यारा नाता है 
पर ये ऐसा अनूठा प्यार है ज़िसमे ये इंतजार रहता है की प्रेमी कब  जाता है 

पर चाहे आ जाये अब हमको ज्वर का ज्वार 
हम तो बुखार से भी कर लेते हैँ प्यार
ज्वर का ज्वार 

एे ज्वर तू मुझसे ऐसा क्या पाता है 
जब भी आता है तो शरीर गर्म और अरमान ठंन्डे कर जाता है 

तेरा प्यार भी ऐसा है रुहानी 
की वैसे तो दिखता नहीं सालों तक पर जब आता है तो तापमापी की सारी लकीरें पार कर है जाता 

तेरी वफादारी से मेरा बड़ा प्यारा नाता है 
पर ये ऐसा अनूठा प्यार है ज़िसमे ये इंतजार रहता है की प्रेमी कब  जाता है 

पर चाहे आ जाये अब हमको ज्वर का ज्वार 
हम तो बुखार से भी कर लेते हैँ प्यार