हाँ गुजरना था बचपन एक दिन गुज़र गया,मगर अपना बचपना खोने ना दूँगी........ समझदारी के भवंर में उलझ कर अपनी सच्चाई और मासूमियत को ऊलझने ना दूँगी.......... ज़िन्दगी तो दर्द भरा जाम है इक बार में मुस्कुरा कर सारा जाम पी लूँगी,मगर दर्द अपना किसी के सामने छलकने ना दूँगी........ कोई चाहे मुझे तो ऐसे ही चाहे जो हूँ और जैसी हूँ मैं, किसी की सच्ची चाह में बदलना तो ठीक है,मगर इस चाह में खुद को मिटाने का हक तो खुद को भी देने ना दूँगी............ हाँ गुजरना था बचपन एक दिन गुज़र गया,मगर अपना बचपना खोने ना दूँगी........ #bachpana_khone_na_dungi #Chanchal_Mann #hindinojoto#poetry#shabdanchal