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White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 41) में आपका

White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 41) में आपका स्वागत है!
बाहर लगे पेड़ अभी तक बरस रहे थे!नमी ग्रस्त हवा ऐसे चल रही थी,जैसे कश्मीर से होकर आ रही हो !!

कुछ समय  बाद, शिखा एक लोहे की रॉड और साथ में कुछ उपले लेकर आती है!
नंदू के पास रखती हुई, ये लीजिए आग कम हो गया है, इसे डालकर तेज कीजिए!नंदू अपना सिर नीचे किए हुए बोलता है ठीक है,

 नंदू का शर्मीला स्वभाव देखकर, शिखा हंसती हुई चली जाती है!
और मन ही मन सोचती है, शर्माना तो हमें चाहिए लेकिन यह तो बिल्कुल उल्टा हो रहा है!
नंदू ,अग्नि देव को जैसे ही खोराक बढ़ाता है, वैसे ही अग्निदेव अपने पूरे शक्ति के साथ, यौवन का रूप धारण कर लेते हैं!
और नंदू के कपड़े से नमी को सोख लेते हैं!

©writer Ramu kumar
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