आज सोचा कुछ लिख दूँ फिर सोचा क्या लिखूँ दिल की लिखूँ या दिमाग की लिखूँ उसकी लिखूँ या खुद की लिखूँ अपने दर्द लिखूँ या उसकी दुआएँ लिखूँ अपने सपने लिखूँ या उसके पैगाम लिखूँ अपना सब्र लिखूँ या उसका इंतजार लिखूँ खैर छोडो न लिखूँ तो बेहतर होगा होंगे पूरे सपने तब लिखूँगा पूरे होंगे अपने अफ़साने तब लिखूँगा #कुमार सुमित #कविता #प्यार #इश्क़ #poem #shayari