#OpenPoetry ऐ_वतन_मेरे_1. ऐ वतन मेरे मुझपर हैं तेरे कई एहसान, मेरी पहचान मेरा ईमान है तू, मेरे वतन मेरी जान है तू।। मेरा अस्तित्व मेरी शक्सियत है तूझसे, संतान हम सारे तेरे, हमारा अभिमान है तू।। इक तरफ़ अम्मी का प्यार इक ओर माँ का दुलार, इक ओर भाईजान के संग मस्ती, इक तरफ़ भाईयों के साथ शरारतें बेशुमार, सलाम करता सम्मान से हमारे, इस मुल्क को सारा संसार।। गुजरात से मनिपुर हो या फ़िर, कश्मिर से हो कन्याकुमारी, सुकून की नींद हो या पेट भर भोजन हो, ऐ भाई जवान ऐ भाई मेरे किसान, आवाम ये सारी तुम्हारे आभारी।। जान की बात करते हो रुह भी निलाम कर देंगे, गुरूर है अभिमान है ये हिंदुस्तान हमारा, आंच आई ज़रा भी हमारे मुल्क़ पर, सरेआम गद्दारों का कत्लेआम कर देंगे।। माँ भारती की संतान हैं हम, मौत को भी हम डरते नहीं, जो दाग माँ पे लगाने की करोगे कोशिश, हर कोशिश हम गद्दारों की नाकाम कर देंगे,