अभिव्यक्ति का डस्टबिन!! सम्बन्धों में - अपने अवसाद, अपनी परेशानियां अनचाहे साझा करने की मानवीय प्रवृत्ति! एक-दूसरे का महज इस्तेमाल... अहा! डस्टबिन-सा! सड़ते-गलते-भरते डस्टबिन में ऐसे जमा होता यह मानसिक-वैचारिक कचरा! रीत रहे सतत समय में एकदिन असहाय, रूग्ण-अकेलापन ही भावनात्मक धरातल पर खंडित शकल में जैसे बिखरता चतुर्दिक बाहर... साझा संक्रमण-सा! @manas_pratyay #poor #अभिव्यक्ति_का_डस्टबिन @manas_pratyay © Ratan Kumar