कवि तारीफों के लिए नहीं कोई, कोरे कागज़ो को भारत है। जिसे पढ़कर लोग शाबाशी देते हैं, असल में तो वो किसी के दर्दों को बयां करता है । ज़हन में आया आज कि क्यूं न कवि पे कविता लिखते हैं।। क्या है उनके शब्दों में ऐसा ,जो आज भी ज़ुबां पे बिकते है। कवि कविता नहीं ,अपनी दास्तां सुनता है। भावनाओं को अपनी , कागजों पर छांटकर, एक नया दोस्त बनता है। वो भी एक इंसान है। लेकिन थोड़ा अकेला सा हो गया , ज़ुबां की भाषा छोड़कर जो कोरे कागजों की दुनिया में खो गया । अब कागजों को वो अपनी भावनाएं बताता है। धोखा ना दे जो उसे कभी ,एक ऐसा दोस्त बनता है।। सरताज १ year #NojotoQuote कवि की कहानी