छल कपट का ये आलम है, पर्दे के पीछे का किरदार कहाँ मालूम है स्वार्थ के तराजू पे तोलते रिश्ते, किसके दिल में क्या? कहाँ मालूम है पहचान छिपा पहचान नई बनाते है, सच्चा है दिल, यह कहाँ जाने है जब जान पाए किसी को, दिल के टुकड़े कितने होंगे? कहाँ मालूम है लेखन संगी #rztask281 #restzone #rzलेखकसमूह #manishapatel #YourQuoteAndMine Collaborating with Manisha Patel