तुम्हें पहली बार देखना, देखते ही ख़ुद को भूल जाना, आज भी मुझे याद है। स्कूल से घर निकलना, रास्तें चलते ही तुम्हारी यादों में खो जाना, आज भी मुझे याद है। तुम्हारे घर जाते रास्तों पर, ना चाहते हुए भी मुड़ जाना, आज भी मुझे याद है। तुम्हें देखने की चाह में, बालकनी को ताकती वो नज़रें, आज भी मुझे याद है। शहर में घूमते तमाम चेहरों में तुम्हें ढूंढने की, मेरी असफल कोशिश, आज भी मुझे याद है। तुम्हें कहीं देखना, और मेरा कुछ ना कह पाना, आज भी मुझे याद है। तुम्हें बार-बार देखना, और हर बार नएपन से देखना, आज भी मुझे याद है। अपने आस पास के शोरों में, तुम्हारी हंसी की हर एक गूंज, आज भी मुझे याद है। अपने जीने में, तुम्हारे लिए जीना, आज भी मुझे याद है ©Ķűmàř Anil #Yadein #Memories #lamho_ki_guzarishey #lamhe